सालों के बाद इस बार 26 जनवरी को प्रेस क्लब के द्वारा आयोजित पिकनिक ले जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। पिकनिक नहीं ले जाने की असली वजह किसी को समझ नहीं आ रही है। लेकिन इसके टलने से जनसम्पर्क विभाग सबसे ज्यादा खुश है तो गैर सदस्य दुखी है। वैसे भी पिकनिक में प्रेस क्लब सदस्य कम जाते थे, गैर सदस्यों की संख्या अधिक होती थी।
पिकनिक कार्यक्रम रद्द होने का प्रभाव आगे क्या होगा यह तो पदाधिकारी ही जाने लेकिन 26 जनवरी को प्रेस क्लब के झंडा वंदन कार्यक्रम में बामुश्किल दर्जन भर लोग पहुंचे। कई पदाधिकारी गायब थे और जो पदाधिकारी पहुंचे थे उनमें से कईयों को घर जाने की जल्दी थी।
प्रेस क्लब और क्रिकेट
प्रेस क्लब द्वारा आयोजित क्रिकेट मैच को लेकर इन दिनों चर्चा का गर्म है। अधिकांश टीमों में गैर सदस्यों का दबदबा है तो वहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया वाले भी इसमें भाग ले रहे हैं। जबकि इलेक्ट्रानिक मीडिया वाले अपना संगठन अलग बना चुके हैं।
वैसे भी प्रेस क्लब ऐसी संस्था बन गई है जहां गैर सदस्यों के आगे सदस्यों की नहीं चलती।
जन सम्पर्क का खेल
कहने को तो जनसम्पर्क विभाग सरकार और जनता के बीचे सेतू का कार्य करता है लेकिन हकीकत में उसका काम सिफऱ् विज्ञापन बांटना एवं दूसरे प्रदेश के अखबारों के संवाददाताओं से जी हजुरी करवाना रह गया है। जनसम्पर्क के अधिकारियों के इस रवैये से स्थानीय पत्रकारों में रोष है पर छवि तो दिल्ली में बनती है इसलिए इसकी परवाह वे नहीं करते।
यही नहीं सरकार की छवी सुधारने में लगी यह संस्था अपनी वेबसाईट भी ठीक नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री रमन सिंह जिलों का निर्माण कर रोड़ शो करके 27 जिलों में वाहवाही लूट रहे हैं लेकिन जनसम्पर्क की वेबसाईट में अभी भी 18 जिले प्रदर्शित हैं।
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