वैसे तो पहले ही पत्रकारिता में खतरें कम नहीं थे लेकिन इन दिनों छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करना आसान नहीं रह गया है । रमन सरकार के संरक्षण में जहां एक तरफ माफियाओं या अपराधियों के हौसले बुलंद है तो दूसरी तरफ नक्सली भी पत्रकारों पर दबाव बढ़ाने लगे हैं । बिलासपुर का पाठक हत्याकांड हो या छुरा का राजपूत हत्याकांड हो सरकार और पुलिस के कारनामों ने अपराधियों को खुला छोड़ दिया है । आये दिन सरकार के भ्रष्टाचार की खबरें छापने पर धमकियों की खबरें आने लगी है यहां तक की पुलिस के दुव्र्यवहार की खबरें भी बड़ी है । सरकार अपने खिलाफ छपने वाली अखबारों पर चौतरफा दबाव बजा रही है तो पत्रकारां पर हमले भी तेज हुए हैं ।
नेमीचंद की हत्या...
कांकेर के पत्रकार नेमीचंद जैन की हत्या क्या सरकारी संरक्षण प्राप्त टीन तस्करों ने की है या नक्सलियों ने उनकी हत्या की है यह जांच का विषय हो सकता है । लेकिन यह पत्रकारिता पर हमला है और इस हमले को बदश्ति नहीं किया जाना चाहिहए । नेमीचंद जैन की हत्या को लेकर भले ही नक्सली ख्ंाडन कर रहे है लेकिन क्या यह पूर सच है । उनका खंडन संदेह के परे है । हालांकि आमतौर पर नक्सली जो भी करते है हिम्मत से उसकी जवाबदारी लेते है लेकिन यदि यह उनका कृत्य सरकार को भी उस टीन तस्कर की गिरफ्तारी जल्द करना चाहिए जिनका नाम सामने आ रहा है ।
पत्रिका पर प्रहार...
सरकार के करतूतों पर लीखा प्रहार करने वाले पत्रिका के पत्रकारों का विधानसभा का पास इस बार भी नहीं बनाया गया । यह ठीक है कि विधानसभा का पास किसका बनना है किसका नहीं यह विधानसभा का विशेषाधिकार है लेकिन सरकार यह जान ले कि यह पत्रकारिता पर प्रहार से कम नहीं है और इसके परिणाम क्या हो सकते हैं रमन सरकार को सोचना है ।
जनदखल बंद ! ...
एक पुरानी कहावत है नियत में बरकत होती है । जनदखल अपने तेवर बदला तो सरकार से सेटिंग की खबरें चर्चा का विषय बन गई । और अब उसके बंद हो जाने की खबर से एक बात तो तय है कि पत्रकारिता में ढुकुर सुहाती ज्यादा दिन नहीं चलती । यहां काम कर रहे सनत चुतुर्वेदी, प्रदीप डडसेना नई नौकरी की तलाश में हैं । सनत चुतुर्वेदी जी सीनियर पत्रकार हैं और पत्रकारिता की गरिमा के लिलए उनकी पहचान है ।
और अंत में...
चुनाव आते ही रंगा-बिल्ला फिर सक्रिय हो गए है । नये भारत के इस चर्चित जोड़ी का कमाल था कि ये खबरें प्रकाशित हो गई कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने विधानसभा में प्रदर्शन के लिलए भाजपा विधायकों की पीठ ठोकी जबकि कहा जा रहा है कि पूरी बैठक में कांग्रेस के तेवर को लेकर चिंता के बादल छाये रहे ।
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