नगर निगम का चुनाव आते ही राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के साथ अखबार वाले भी सक्रिय हो गए हैं। अखबारों को मालूम है कि चुनावी खर्च की राशि सीमित है और ऐसे में विज्ञापन का दबाव काम नहीं आने वाला है। प्रत्याशी भी चुनावी खर्च की सीमा से बंधे हैं यदि राजधानी के बड़े अखबारों को विज्ञापन दिए जाए तो चुनावी खर्च की सीमा समाप्त हो जाएगी तब भला वे आम लोगों को किस तरह से प्रभावित करेंगे। ऐसे में अखबार वालों ने भी रास्ता निकाल लिया है कि विज्ञापन की बजाय पक्ष में खबरें प्रकाशित की जाएगी। इससे प्रत्याशी चुनावी खर्च के हिसाब से तो बच ही जाएगा मतदाता भी खबरों से प्रभावित होकर वोट डाल सकता है।
राजधानी में चुनाव आयोग को ठेंगा दिखाने वाले इस करतूत में वे अखबार भी शामिल हैं जो अपने आप को प्रतिष्ठित व नम्बर वन की दौड़ में खड़ा करते हैं। कानून की अवहेलना करने वालों के खिलाफ खबरें छापने वाले अखबार किस तरह से कानून का माखौल उड़ाने के तरीके अपनाते है यह शर्मनाक है।
राजधानी के छोटे अखबार यदि ये तरीके अख्तियार करते तो यही बड़े अखबार के रिपोर्टर इसे शर्मनाक कहते नहीं थकते लेकिन अब तो बड़े अखबार भी पैसे कमाने की दौड़ में कानून की धाियां उड़ाने आमदा है।
ऐसे ही एक प्रतिष्ठित अखबार ने तो बकायदा स्कीम बना कर पार्षद प्रत्याशियों से संपर्क कर रहे हैं। एक वार्ड में एक ही प्रत्याशी को जीताने का ठेका लेने वाले इस अखबार के जाल में दर्जनभर से यादा प्रत्याशी फंस चुकेहैं। हालांकि कौन प्रत्याशी नहीं चाहेगा कि चुनावी खर्च के झंझट से बाचते हुए इस बड़े अखबार में फोटो छपे।
एक अखबार ने तो पार्टी स्तर पर बात कर ली है कि वह पार्टी प्रत्याशियों की फोटो छापेगा और उसे ही दमदार बतायेगा। जबकि छोटे अखबार तो 5 सौ-हजार कॉपी और कुछ रकम के एवज में प्रशंसा करने आतुर है।
चुनाव आयोग को ठेंगा दिखाने बनी इस तरह की योजनाओं से अखबार को तत्कालीन फायदा तो मिलेगा लेकिन अखबारों की विश्वसनियता पर सवाल उठेंगे। पत्रकारिता के इस गिरते स्तर को लेकर अब एक नई बहस भी शुरू हो गई है लेकिन इस बहस से अखबार मालिकों को कोई लेना-देना नहीं है।
और अंत में....
पिछले चुनावों में अखबारों के भुक्तभोगी एक पार्षद ने कहा कि पिछली बार तो केवल दो बड़े अखबार थे इस बार चार बड़े अखबारों को झेलना है। चुनाव जीतना है तो किसी को नाराज भी नहीं कर सकते। क्या बताऊं भैय्या ऐसे ऐसे दबाव आते हैं अब अपनी म....... किसे बतायें?
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