गुरुवार, 12 मई 2016

स्वास्थ्य मंत्री की मीडिया को सलाह...


स्वास्थ्य मंत्री की मीडिया को सलाह...
यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना प्रदेश के स्वास्थ मंत्री अजय चंद्राकर मीडिया को सलाह देने की बजाय स्वयं के आचरण और करतूत को सुधारने में ध्यान लगाते।
दरअसल स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर इन दिनों अपनी करतूतों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में हैं। प्रदेश सरकार के महत्वकांक्षी योजना ग्राम सुराज में हिस्सा ले रहे अजय चंद्राकर के रवैये को लेकर जिस तरह से बातें सामने आ रही है वह हैरान कर देने वाली है।धमकी-चमकी गाली गलौज के लिए पहले ही चर्चित अजय चंद्राकर के ग्राम सुराज में बोल इन दिनों चर्चा में है और अपने आचरण को ठीक करने की बजाय वे मीडिया को सलाह दे रहे हैं कि वे उन्हें निशाना बनाने की बजाय ग्राम सुराज जैसे अच्छे कार्य पर लिखे।
दरअसल पिछले दशक भर से चल रहे ग्राम सुराज को लेकर सरकार की पहले ही किरकिरी हो रही है ऐसे में अजय चंद्राकर के आचरण की चर्चा स्वाभाविक है। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों की करतूतों की वजह से अजय चंद्राकर का गुस्सा फुट रहा है असल में अजय चंद्राकर अपनी इस तरह की हरकतों को लेकर पहले ही चर्चा में रहे हैं। महिलाओं से दुव्र्यवहार के अलावा दूसरे कई मामले पहले भी उठते रहे हैं। जानकारों का तो यहां तक दावा है कि अपनी इसी हरकत की वजह से ही वे पिछली बार चुनाव में पराजित हुए थे।
वैसे मीडिया को लेकर जिस तरह की सोच बनते जा रही है उसे लेकर मीडिया को भी सचेत रहने की जरूरत है। बस्तर के पत्रकारों पर जिस तरह से नक्सली और पुलिस का दबाव है लगभग खबरें न छापने को लेकर राजधानी के पत्रकारों पर मैनेजमेंट का दबाव कम नहीं है। किस मंत्री से किस अखबार मालिक का संबंधहै किसी से छिपा नहीं है। राजधानी में विज्ञापनों का दबाव के चलते खबरों का रुकना आम बात होने लगी है और इस वजह से सोशल मीडिया में भी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया का न केवल मजाक उड़ाया जाने लगा है बल्कि मीडिया की छवि को नुकसान पहुंचा है।
हालांकि यह बात बहुत कम लोग जानते है कि यह सारा खेल अखबार मालिक और सरकार के बीच का खेल है जिसमें पत्रकारों का कोई खास लेना देना नहीं होता। परन्तु जिस तरह से मीडिया को गरियाने या समझाने की परम्परा शुरु हुई है इसका क्या असर होगा यह भविष्य के गर्भ में है।
और अंत में...
मीडिया से खासे नाराज रहने वाले सत्ता पक्ष के एक नेता का कहना है कि दरअसल राजधानी के मीडिया घरानों का कांग्रेसियों से संबंध प्रगाढञ रहे हैं और वे यदि पावर में आये तो कईयों की दुकानदारी बंद करा देंगे और इस अभियान के तहत वे इन दिनों विकास प्राधिकरण में कमीशनखोरी का धन जमा करने में मशगूल है।

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