गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

न सूत न कपास, जुलाहों में...


यह तो न सूत न कपास जुलाहां में लठ्ठम लठ्ठा की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना छत्तीसगढ़ में मीडिया ने कभी भी अपनी मर्यादाएं लांघने की जहमत नहीं की । इन दिनों जहां एक तरफ आपसी प्रतिस्पर्धा चरम पर हे वहीं खबरों में सनसनी पैदा करने की होड़ भी मची हुई है । खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया में यह Óयादा देखने को मिल रहा हैं ।
छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रानिक मीडिया की पूछ परख प्रिंट के मुकाबले कमजोर है । ई टी वी, सहारा, जी 24, साधना के अलावा भी यहां इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनल काम कर रहे हैं लेकिन Óयादातर चैनल प्रेस कांफ्रेस और रूटीन की खबरों तक ही सिमट कर रह गये हैं Óयादातर खबरे प्रिंट मीडिया में छप चुकी होती है और नया करने के चक्कर में अपनी प्रतिष्ठा को ही धब्बा लगा बैठते हैं ।
कई चैनल तो सत्ता के गलियारे तक ही अपने को समेट कर रख छोड़ा है । ऐसे में खबरों की होड़ पीछे छूट गया है ।
इसके उलट प्रिंट मीडिया में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है । लेकिन चुनावी साल होने की वजह से सरकार का दबाव भी कम नहीं है । सरकार के खिलाफ जाती खबर छपी नहीं कि जनसंपर्क से लेकर भाजपा के मीडिया मैनेजमेंट करने वाले ट्रट पड़ते हैं । हालांकि यह स्थिति बड़े बैनर वाले अखबारों के साथ Óयादा है लेकिन छोटे बैनर वाले अखबारों पर भी दबाव कम नहीं है ।
अब तो कई अखबार वाले जमीन और विज्ञापन के लिए दबाव भी बनाने लगे है ।
प्रेस क्लब का काम
सी एम का झुनझूना...
रायपुर प्रेस क्लब के वर्तमान पदाधिकारियों की नींद खुलने लगी है । कार्यकाल समाप्ति के दौर में जब जागी तब सवेरा की तर्ज पर डायरेक्टरी का विमोचन और वरिष्ठ पदाधिकारियों का सम्मान किया गया ।
दोनों ही कार्य सराहनीय है क्योंकि वरिष्ठों के सम्मान में ही सबका सम्मान निहित है एक अ'छे कार्यक्रम में एक बार फिर पत्रकारों की पेशंन जैसी मांग पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का जवाब निराश करने वाला रहा । अपने ही कामों के बखान के बीच मुख्यमंत्री का पत्रकार पेंशन योजना के प्रति रवैया जोर निराशावादी है । जबकि नई राजधानी में अवासीय योजना पर उनकी चुप्पी भी ठीक नहीं रही ।
कहीं होड़ तो कहीं बेरूखी .....
वरिष्ठ पदाधिकारियों के सम्मान में प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने नाम देखकर कई उत्साहित थे । और कुछ एक लोग तो लालायित भी दिख रहे थे । जबकि कुछ लोग पहले की तरह अपने को इससे दूर ही रखा । इनमें से कुछ पूर्वाग्रह के शिकार है तों कुछ की वर्तमान पदाधिकारियों से नाराजगी है ।
और अंत में ...
सहारा न्यूज चैनल को रूचिर गर्ग के जाने के बाद से ब्यूरों की तलाश है । शर्ते और नियम लागू है । शिव पर डोरे डाले गये थे लेकिन वह भी छिटक गये ।

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